म्युचुअल फण्ड की सम्पूर्ण जानकारी ऐसे प्राप्त करें – Mutual Fund Kya hai in Hindi

आज हम उन निवेशकों के लिए बात करेंगे जिनके पास समय का अभाव होता है या सही चुनाव करने की क्षमता और समझ नहीं होती है और बैंक सेविंग खाते से अधिक उच्च दर का रिटर्न (ब्याज) पाने की अपेक्षा करते हैं उनके लिए Mutual Fund निवेश का शानदार माध्यम हो सकता है। 

एक इनवेस्टर (Investor) का प्रमुख उद्देश्य अपने पैसे को सुरक्षित रख कर उसे बढ़ाना एवं आवश्यकता पड़ने पर उपयोग में लाना होता है। डिजिटल क्रांति एवं उपयोग की सुगमता से विभिन्न उत्पादों में निवेश अत्यंत सरल बन गया है। और इसका मुख्य रूप से जिस उत्पाद को फायदा हुआ है वह – म्युचुअल फंड। 

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म्युचुअल फंड क्या है? Mutual Fund Kya hai

एक छोटे इनवेस्टर को किसी निवेश संबंधी चुनाव शोध और प्रबंधन करने का न तो ज्यादा ज्ञान होता है और न ही उसके पास ज्यादा समय होता है, किंतु यदि बहुत सारे ऐसे ही छोटे-छोटे निवेशक एक साथ आकर धन इकट्ठा करें तो यह एक बहुत बड़ी राशि में परिवर्तित हो जाता है, इस राशि को किसी पेशेवर प्रबंधक को या “फंड मैनेजर” को प्रदान करते हैं। जो उसे आगे विभिन्न प्रकार की परसंपत्तियों (Assets) में निवेश करता है और इंवेस्टर्स के लिए रिटर्न अर्जित करता है। यह परिसंपत्ति कुछ भी हो सकती है जैसे शेयर, बॉन्ड, सोने और अन्य वित्तीय साधनों किसी में भी निवेश कर सकता है या सभी में एक साथ इन्वेस्ट करता है। निवेश करके अपने इनवेस्टर  के लिए returns अर्जित करता है।

नोट – ‘सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI)’ से रजिस्टर एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) के द्वारा संचालित एक ऐसा फण्ड जिसमे बहुत सारे लोग अपना पैसा निवेश करते है ऐसे फण्ड को म्युचुअल फण्ड कहते है, Mutual Funds में लंपसम अमाउंट या SIP के द्वारा पैसा निवेश किया जा सकता है।

म्यूचुअल फंड के प्रकार

बाज़ार नियामक सेबी (SEBI) द्वारा म्युचुअल फंड को मुख्यत: 5 प्रकार में बांटा गया है। 

  • इक्विटी फंड्स (Equity Funds )
  • डेट फंड्स (Debt Funds )
  • हाइब्रिड फंड्स (Hybrid Funds )
  • सोल्युशन ओरिएंटेड फंड्स (Solution-Oriented Funds)
  • अन्य फंड्स ( Other Funds )

इक्विटी फंड्स (Equity Funds)

इक्विटी म्युचुअल फण्ड इस प्रकार में कंपनियों के शेयरो में पैसा लगाया जाता है और इनका प्रदर्शन उन कंपनियों के प्रदर्शन पर आधारित होता है इसमें जोखिम और रिटर्न दोनों की  संभावना अधिक रहती है। 

डेट फंड्स (Debt Funds)

डेट फंड्स ऐसे निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प है जो जोखिम से दूर रहना पसंद करते है। इस तरह के फंड्स के द्वारा किया जाने वाला निवेश फिक्स्ड इनकम ट्रेजरी बिल ,कॉर्पोरेट बॉन्ड्स आदि में किया जाता है। बाजार में होने वाले उतार – चढ़ाव का इनपर कम असर होता है। इसलिए ये जोखिम भरे नहीं होते है। 

हाइब्रिड फंड्स (Hybrid Funds)

हाइब्रिड फंड्स या बैलेंस फंड्स Mutual Funds का वो प्रकार है जो इक्विटी और डेट फंड्स का मिश्रण होता है। ये ऐसे इन्वेस्टर्स के लिए है, जो बाजार से फायदा तो लेना चाहते है पर रिस्क नहीं उठाना चाहते है। इनमे डेट फण्ड से ज्यादा जोखिम होता है पर इक्विटी फण्ड से कम जोखिम होता है। 

सोल्युशन ओरिएंटेड फंड्स (Solution-Oriented Funds)

ये उन निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प हो सकते है जो रिटायरमेंट ,बच्चों की उच्च शिक्षा और शादी आदि के लिए फण्ड जमा कर रहे है। ये इक्विटी, डेट और हाइब्रिड फंड्स के मिश्रण हो सकते है। 

अन्य फंड्स (Other Funds)

इक्विटी, डेट, हाइब्रिड और सॉल्यूशन ओरिएंडेट फंड्स के अलावा कई और अन्य प्रकार के फंड्स होते है जैसे लिक्विड फंड्स, ग्रोथ फंड्स, ओपन एंडेड फंड्स, क्लोज एंडेड फंड्स और ईएलएसएस(ELSS) आदि।

Mutual Fund की संरचना

म्युचुअल फंड में निवेश क्यों करे? इसे समझने के लिए हम सरल भाषा में जानेंगे कि Mutual Fund कैसे काम करता है। 

स्पॉन्सर या प्रायोजक

स्पॉन्सर वह कंपनी या प्रमोटर है जो म्युचुअल फंड स्थापित करती है। इनका उद्देश्य प्रॉफिट कमाना होता है और यह ट्रस्ट एवं ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) की स्थापना करते हैं। कौन सी कंपनी प्रमोटर या स्पॉन्सर बन सकती है यह सेबी द्वारा जारी किए गए नियमों के तहत ही तय होता है। 

ट्रस्ट (Trust)

इन्वेस्टर्स से एकत्रित धन ट्रस्ट के अंतर्गत आता है। स्पॉन्सर ट्रस्ट के सदस्य को नियुक्त करता है और यह ट्रस्टीज कहलाते हैं। यह इन्वेस्टर के धन के संरक्षक होते हैं अर्थात उनकी निगरानी में रहता है। उनके हितों का ध्यान रखते हैं और एएमसी के कार्य पर भी निगरानी रखते हैं। 

ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC)

एएमसी म्युचुअल फंड का प्रबंधन है और इसका संचालन करता है। यह ट्रस्ट के लिए इन्वेस्टर्स से एकत्रित धन को निवेश करता है और निवेशको से इकट्ठे किए हुए धन का संपूर्ण प्रबंधन करता है और बदले में उनसे प्रबंधन शुल्क (Management Fees) लेता है। 

नियामक (Regulator)

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI – Securities and Exchange Board of India) म्युचुअल फंड का नियामक (Regulator) है और सेबी द्वारा म्युचुअल फंड पर कड़ी नजर रखी जाती है। यह निवेशको के हित और फायदे के लिए कार्यरत है। और समय-समय पर नई नीतियां एवं दिशा निर्देशों को तैयार करके उनका पालन करवाता रहता है, जो हर म्युचुअल फंड कंपनी के लिए अनिवार्य है। 

फंड मैनेजर (Fund Manager)

ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC – Asset Management Company) फंड मैनेजर के द्वारा Mutual Fund का संचालन करती है और फंड मैनेजर ही फैसला लेता है कि पैसा कहां और किस अनुपात में इन्वेस्ट करना है यानी कौनसी संपत्ति और शेयर में पैसा लगाना है और कब निकालना है। मतलब रिपोर्टिंग, सेबी दिशा निर्देशों का अनुपालन करना निवेशको के धन का संरक्षण करना और दिन प्रतिदिन की मार्केट की उतार चढ़ाव की गतिविधियों की निगरानी करना यह सारे काम फंड मैनेजर के कार्य क्षेत्र में आते हैं। 

क्यों करें म्यूचुअल फंड में निवेश?

म्युचुअल फंड के बारे में सब कुछ जानते हुए भी हम एक चीज को इग्नोर कर जाते हैं कि म्यूचुअल फंड में निवेश करने का प्रमुख कारण क्या है? यानी कि ऐसी कौन सी वजह है जो हमें म्युचुअल फंड में निवेश करने के लिए राजी करती है। तो हम इनको पांच बिंदु में समझेंगे कि क्यों म्युचुअल फंड निवेश के लिए सही है। 

पेशेवर प्रबंधन

म्युचुअल फंड कैसे और कहां निवेश करते हैं? इन सब में कुछ महत्वपूर्ण फैसले शामिल होते हैं। जिस किसी स्टॉक में निवेश करना है और जिन स्टॉक्स में हम निवेश कर रहे हैं उन कंपनियों के बारे में विशेष ज्ञान और उन पर किया हुआ शोध ,आर्थिक जगत की सूझबूझ और कंपनियों का पिछले कुछ वर्षों का वित्तीय प्रदर्शन और उनके भविष्य की दिशा आदि ऐसी तमाम जानकारी लेना। यह केवल पेशेवर फंड मैनेजर (Professional Fund Manager) कर सकते हैं। 

विविधता (Diversify)

Mutual Fund विभिन्न परिसंपत्तियों (Assets) के पोर्टफोलियो में निवेश करते हैं अर्थात म्युचुअल फंड अलग-अलग कंपनियों के स्टॉक में हमारे लिए निवेश करते हैं इसलिए इन्हें निवेश करने से हमें विविधीकरण (डायवर्सिफिकेशन) का लाभ मिलता है। विविधीकरण एक से अधिक विकल्पों में निवेश करके जोखिम को कम करने का तरीका है।  विविधीकरण से हमें उच्च रिटर्न प्राप्त होता है और इसकी संभावना ज्यादा रहती है। छोटे इन्वेस्टर के लिए खुद से यह सब कुछ करना थोड़ा कठिन हो जाता है। 

कम इन्वेस्टमेंट या छोटा निवेश

म्युचुअल फंड में निवेश के लिए बड़ी मात्रा में बचत करने का इंतजार नहीं करना पड़ता है। म्युचुअल फंड में हम एक छोटी राशि से भी इन्वेस्टमेंट प्लानिंग शुरू कर सकते हैं और समय के साथ-साथ इसे आगे बढ़ाते जा सकते हैं। 

सरल एवं पारदर्शी

म्युचुअल फंड में निवेश अत्यंत सरल है एवं किसी भी एप्लीकेशन प्लेटफॉर्म (यानी SEBI से रजिस्टर्ड ब्रोकरेज अप्प) द्वारा घर बैठे शुरू किया जा सकता है। सेबी द्वारा निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन Mutual Fund के लिए आवश्यक है जैसे मासिक पोर्टफोलियो प्रदर्शन (Monthly Portfolio Performance) इसे पारदर्शी बनाता है। म्युचुअल फंड को अपने सारे इन्वेस्टर्स को उनके लगाए हुए पैसों के शेयर के उतार चढ़ाव को हर महीने दिखाना होता है जिससे निवेशक संतुष्टि से अपना पैसा उसमें इन्वेस्ट रख सके। 

टैक्स बचत – Tax Saving

टैक्स बचत वाले म्युचुअल फंड जिन्हें इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम कहा जाता है के माध्यम से इन्वेस्टर आयकर की धारा 80c के अंतर्गत एक वित्त वर्ष में 1.5  लाख तक की राशि की छूट का दावा कर सकते हैं। इसलिए म्युचुअल फंड से हम अपनी टैक्स की बचत कर सकते हैं। 

लिक्विडिटी – Liquidity

म्युचुअल फंड उन उत्पादों में से एक है जिनकों काम में लेना सबसे आसान और सरल है। इसको हम किसी भी मोबाइल और अपने लैपटॉप से इसके कुछ भाग या इसके पूरे निवेश को एक साथ खरीदा और बेचा जा सकता है। 

इसे भी पढ़े: इक्विटी म्युचुअल फण्ड क्या है (Equity Fund), कितने प्रकार, पूरी जानकारी 

म्यूचुअल फंड में निवेश

Mutual Fund में निवेश प्रारंभ करने से पहले हमको यह जानना आवश्यक है कि म्यूचुअल फंड को खरीदने के दो विकल्प होते हैं –

  • डायरेक्ट प्लान 
  • रेगुलर प्लान

डायरेक्ट प्लान (Direct Plan)

जब हम म्युचुअल फंड कंपनी से सीधे खरीदारी करते हैं तो इस तरह के Mutual Fund खरीददारी को “डायरेक्ट प्लान” कहा जाता है। इस तरीके में कोई ब्रोकर, वितरक या एजेंट शामिल नहीं होता है और हमें कंपनी को कमीशन या ब्रोकरेज का भुगतान नहीं करना पड़ता है। जिस वजह से हमारे लिए डायरेक्ट प्लान काफी किफायती होता है। 

रेगुलर प्लान (Regular Plan)

जब हम म्युचुअल फंड भागीदारों जैसे वितरक या एजेंट के माध्यम से किसी म्युचुअल फण्ड में निवेश करते है तो ऐसी योजना को “रेगुलर प्लान” कहा जाता है। एएमसी (AMC) इन भागीदारों को उनकी सेवाओं के लिए कमीशन देती है। इसलिए यह डायरेक्ट प्लान से ज्यादा महंगे होते हैं। 

अगर हम इन दोनों में तुलना करें तो रेगुलर प्लान में व्यय अनुपात अधिक और एनएवी (NAV) कम और रिटर्न भी कम होता है। 

कैसे करें म्यूचुअल फंड में निवेश? Mutual Fund Mein Kaise Invest Karen

म्युचुअल फंड में हम दो तरह से निवेश कर सकते हैं –

ऑनलाइन (Online)

म्युचुअल फंड में निवेश करने की यह एक सरल प्रक्रिया है। इन्वेस्टर चुनिंदा म्युचुअल फंड की वेबसाइट पर जाकर अथवा किसी भी मध्यस्थ प्लेटफार्म से निवेश प्रारंभ कर सकता है। इसमें निवेशक के ई-केवाईसी आकलन एवं आवश्यक जानकारी जैसे पैन कार्ड और आधार कार्ड आदि से उपलब्ध होने पर तुरंत पुष्टि हो जाती है तथा आसानी से निवेश प्रारंभ किया जा सकता है। 

ऑफलाइन (Offline)

यह तरीका म्युचुअल फंड में निवेश का पारंपरिक तरीका है। इसमें इन्वेस्टर अपने चुने हुए फंड के कार्यालय अथवा ऐसे बैंक की शाखा जहां इस फंड में निवेश उपलब्ध है, जाकर कर सकते हैं। इसमें आवेदन पत्र भरने के साथ आवश्यक दस्तावेज एवं शर्तों को पूरा करना होता है। सभी आवश्यकता को पूरा करने पर निवेश प्रारंभ किया जा सकता है।

इस मॉडर्न युग में ऑफलाइन तरीका हर चीज के लिए कम होता जा रहा है इस लिए म्युचुअल फंड में भी निवेश ज्यादातर ऑनलाइन ही किया जा रहा है और सही एवं ज्यादा सुरक्षित तरीका भी यही है। 

म्यूचुअल फंड का चयन – How to Select Best Mutual Fund

अगर आप भी म्युचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं तो आपको Mutual Fund का चुनाव करते समय इन तथ्यों को ध्यान में जरूर रखना चाहिए –

निवेश का उद्देश्य

म्युचुअल फंड में निवेश करने से पहले हमें पता होना चाहिए कि हमारा उद्देश्य क्या है, लक्ष्य निर्धारण निवेश चयन को सरल बनाता है। यदि उद्देश्य नियमित आय हैं तो निवेश प्रकार अलग होगा, और यदि उद्देश्य पैसे की बढ़ोतरी है तो उसी के अनुसार चयन भी बदल जाएगा। किसी विशिष्ट उद्देश्य से या लक्ष्य के साथ किया गया निवेश बेहतर निवेश फैसला साबित हो सकता है। निवेश का लक्ष्य नया घर, नई कार या कुछ बड़ा खरीदना, बच्चों की उच्च शिक्षा या परिवार के साथ विदेश में घूमना हो सकता है आपका जो भी सपना हो यानी हमारे पास निवेश का एक उद्देश्य जरूर होना चाहिए। 

समय सीमा

-लक्ष्य कितनी दूर है। 

-क्या हम लक्ष्य में बदलाव संभावित मान रहे हैं या नहीं मान रहे हैं। 

बाजार कम समय में स्थिर हो सकता है लेकिन लंबी अवधि में कुछ अच्छा रिटर्न देने की क्षमता रखता है। लंबे समय के लिए इक्विटी फंड्स (Equity Funds) को उपयुक्त समझा जाता है और छोटी और कम समय के निवेश के लिए डेट फंड्स को अच्छा समझा जाता है। 

जोखिम क्षमता

इन्वेस्टर को अपने द्वारा चुने हुए निवेश प्रकार के साथ सहज होना चाहिए और इसके लिए जोखिम का ज्ञान आवश्यक होना चाहिए। निवेश करने से पहले हमें यह पता कर लेना चाहिए कि हम जिस फण्ड में निवेश कर रहे हैं उसमें कितना जोखिम (Risk) है और रिटर्न अक्सर एक दिशा में चलता है ,बाजार आधारित निवेश में जोखिम भी अधिक है और रिटर्न की संभावना भी उतनी ही अधिक है। वही डेट म्युचुअल फंड में जोखिम कम है और रिटर्न भी कम है। 

टैक्स मूल्यांकन

म्युचुअल फंड में निवेश करने से पहले उसका टैक्स मूल्यांकन कर लेना हमारे लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। समय सीमा के पश्चात् और समय सीमा से पहले फंड निकासी के टैक्स मूल्यांकन में भी अंतर होता है। इसलिए हमें टैक्स मूल्यांकन (Tax Assessment) निवेश से पहले ही कर लेना चाहिए। 

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म्युचुअल फंड- प्रमुख शब्दावली 

म्युचुअल फंड निवेश से संबंधित ज्यादातर इस्तेमाल होने वाली शब्दावली ,उनका अर्थ व महत्व-

AUM – एसेट अंडर मैनेजमेंट 

यह इन्वेस्टर की कुल जमा राशि और म्युचुअल फंड एएमसी द्वारा नियंत्रित परिसंपत्तियों के आकार को दर्शाता है। इन्वेस्टर द्वारा इन्वेस्ट के पश्चात फंड मैनेजर उसे अलग-अलग कंपनियों में आवंटित करता है और निवेश संबंधी सारे फैसले लेता है। किसी भी म्युचुअल फंड के AUM में निरंतर उतार चढ़ाव दिखाता रहेगा इसका कारण है नए निवेशकों का आगमन और पुराने निवेशको द्वारा निकासी। 

AUM निवेश से पहले कुछ महत्वपूर्ण मापदंडों में से एक है जो म्युचुअल फंड के प्रदर्शन और विश्वसनीयता की पहचान के लिए निवेशको को ध्यान में रखना चाहिए।
AUM Full Form – Assets Under Management

SIP – सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान 

अगर आपने म्युचुअल फंड के संदर्भ में सबसे अधिक उपयोग होने वाले शब्दों में से किसी का नाम सुना है तो वह है SIP, SIP म्युचुअल फंड में निवेश करने का एक मार्ग या सुविधा है जिससे इन्वेस्टर अपने चुने हुए अंतराल पर अपनी चुनी हुई राशि का इन्वेस्ट कर सकते हैं। यह छोटे निवेशको के लिए Mutual Fund me Nivesh करने का एक बेहतरीन विकल्प है। 

एसआईपी की एक और महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इन्वेस्टर अपने बैंक खाते को अपने निवेश खाते से जोड़ सकते हैं इन्वेस्टर के निर्देश अनुसार पूर्व निर्धारित पैसा तय तिथि पर अपने आप म्युचुअल फंड में निवेश हो जाता है।
SIP Full Form – Systematic Investment Plan

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NAV – नेट ऐसेट वैल्यू

म्युचुअल फंड अपने बाजार मूल्य पर खरीदा या बेचा जाता है और इसकी गणना व्यापारिक दिन के अंत में प्रतिदिन की जाती है किसी भी फंड में सभी शहरों के बाजार मूल्य को जोड़कर एकल म्युचुअल फंड इकाइयों की संख्या से विभाजित करने पर आंकड़ा उसका NAV होता है। 

 इसे सरल भाषा में समझे तो फंड की प्रति यूनिट कीमत NAV है। आमतौर पर म्युचुअल फंड यूनिट्स ₹10 प्रति इकाई लागत के साथ प्रारंभ होती है और परिसंपत्तियों (Assets) के मूल्य में वृद्धि के साथ फंड के एनएवी के रूप में बढ़ती जाती है। इसलिए स्थापित और नामी फंड का NAV किसी नए फंड की तुलना में अधिक होता है।
NAV Full Form – Net Asset Value

व्यय अनुपात (Expense Ratio)

म्युचुअल फंड में व्यय अनुपात  को एक वार्षिक शुल्क के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो म्युचुअल फंड अपने इन्वेस्टर्स को दी गई सेवाओं के लिए लेता है। इसमें प्रबंधन शुल्क ,ब्रोकरेज शुल्क ,कानूनी शुल्क ,बिक्री और मार्केटिंग व्यय आदि शामिल होते हैं। 

व्यय अनुपात  को दैनिक आधार पर फंड की कुल संपत्ति के प्रतिशत के रूप में प्रदर्शित या व्यक्त किया जाता है।
इन्वेस्टर के लिए म्यूचुअल फंड से वास्तविक रिटर्न के कुल रिटर्न में से व्यय अनुपात घटकर निकाला जाता है। 

म्युचुअल फंड -सशक्त परोक्ष निवेश माध्यम

बड़े-बड़े निवेशको के विपरीत छोटे-छोटे निवेशको में सीधे शेयरअथवा बांड्स में निवेश करने की समझ और सामर्थ्य का अभाव रहता है। प्रत्येक निवेशक के लिए निदेशक सलाहकार की सेवाओं को लेना संभव नहीं होता है। 

इसलिए म्युचुअल फंड सब तरह के निवेशकों के लिए इन शेयर्स में परोक्ष रूप से निवेश करने का सबसे सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। इस वजह से कोई भी छोटा या बड़ा निवेशक अपनी इच्छा से इसमें इन्वेस्ट कर सकता है और अच्छा रिटर्न प्राप्त कर सकता है। 

आज की इस लेख में हमने म्युचुअल फंड को बारीकी से आप लोगों तक पहुंचाने की एक कोशिश करी है। अगर आप इस लेख से म्युचुअल फंड के बारे में थोड़ा भी जान पाते हैं और निवेश की दुनिया में कदम रख लेते है तो यह हमारे लिए गर्व की बात है। 

क्या म्युचुअल फण्ड सही है?

यह एक बहुत पड़ा प्रश्न (Question) है कि क्या सच में म्युचुअल फण्ड सही है?

Mutual Fund उन लोगों के लिए बिल्कुल सही है जिनको निवेश से सम्बंधित ज्ञान नहीं है यानी शेयर मार्किट, रियल एस्टेट, बॉन्ड्स, कमोडिटी आदि में से किसी के बारे में मन में काफ़ी उलझने रहती है या फिर ऐसे लोग जो अपनी नौकरी में काफ़ी बिजी रहते है और उनके पास मार्किट को समझने का समय ही नहीं है लेकिन यह लोग अपने पैसे को बढ़ाना चाहते है और अच्छा रिटर्न चाहते है तो इनके लिए म्युचुअल फण्ड सही है।

लेकिन ऐसे लोगों के लिए म्युचुअल फण्ड सही नहीं है जिनको शेयर मार्किट, रियल एस्टेट, बॉन्ड्स, कमोडिटी या किसी भी इन्वेस्टमेंट के बारे में अच्छी जानकारी है और उनके पास समय और पैसा अच्छा है तो उन व्यक्तियों को म्युचुअल फण्ड से अधिक रिटर्न मिल सकता है। 

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धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद 

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